आगरा लोक तंत्र के चौथे स्तम्भ की स्वंतन्त्रता का हनन, राजनैतिक सड़यंत्र-:- *जर्नलिस्ट नितिन कुमार शर्मा*
जॉर्नलिस्ट नितिन कुमार शर्मा
*जनपद आगरा*
👉लोक तंत्र के चौथा स्तम्भ एक बुद्धजीवी होते हुए भी आखिर उपेक्षाओ का शिकार क्यों-: *जर्नलिस्ट नितिन कुमार शर्मा*
👉समय रहते यदि पत्रकार (मीडिया कर्मियों) का अधिकारों को संविधानिक तौर से सुरक्षित नही किया गया तो कलयुग की महाभारत के लिये रहे तैयार-: *जर्नलिस्ट नितिन कुमार शर्मा*
👉आज तक किसी राजनैतिक दल ने अपने चुनावी घोषणापत्र में लोक तंत्र के चौथे स्तम्भ को लोक तंत्र में समानता का अधिकार दिलाने की घोषणा नही की है,आखिर क्यों -: *जर्नलिस्ट नितिन कुमार शर्मा*
मित्रो, जैसा कि आप लोग कुछ समय से देखते आ रहे हैकि निष्पक्ष और बेबाक खबरों के चलते राजनैतिक दल बौखलाये हुये है, समूचे भारत में लोक तंत्र के चौथे स्तम्भ पत्रकार (मीडिया) की स्वतंत्रता का हनन होता आ रहा है,
साथियो यह कोई नई बात नही है, देश का संविधान चार स्तम्भों पर टिका हुआ है, जिनमें से कार्यपालिका, न्यायपालिका, व्यवस्थापिका (राजनैतिक जनप्रतिनिधि) और पत्रकार (मीडिया) शुरू से ही मीडिया के साथ तीनों स्तम्भों ने मिलकर सौतेला ब्यौहार भितरघात करता आ रहा है, कार्यपालिका, और न्यायपालिका को आधुनिक सुविधाये, और पदों के अनुसार वेतन मिलना तो ठीक है, परन्तु एक जनप्रतिनिधि जोकि एक अवैतनिक रूपी की जाने वाली समाज सेवा के चलते जनप्रतिनिधि को आधुनिक सुविधाये, पदों के अनुसार प्रशासनिक सुरक्षा आधुनिक वेतन इसके साथ आजीवन पेंशन का प्रवधान क्यों, यदि जनप्रतिनिधि को समाज सेवा करने के बदले में आधुनिक व्यवस्थाओ सहित शाशनिक व्यवस्थाये, वेतन, पेंशन दी जा सकती है तो लोक तंत्र के चौथे स्तम्भ पत्रकार (मीडिया कर्मी) को इन व्यवस्थाओ से बंचित क्यों, साथियो आय दिन पत्रकारों (मीडिया कर्मियों) के साथ अभद्रता, अत्याचार, उत्पीड़न आदि की खबरों की सुर्खियों में आती रहती हैकि कुछ दिनों से पत्रकारों के साथ होने वाले उत्पीड़न, अभद्रताओ, के संबन्ध में उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी सहित मा.उच्च न्यायलय इलाहबाद ने भी टिप्पणी करते हुए पत्रकारों के साथ होने वाले उत्पीड़न अत्याचार, की निन्दा तो की है परन्तु पत्रकारों (मीडिया कर्मियों) के सुरक्षा व्यवस्था का कोई संविधानिक/ब्यापक ब्यवस्था नही की गई है, मित्रो सबसे बड़ी बात तो यह हैकि चुनावी दौर में आपने देखा होगा कि राजनैतिक दलों द्वारा चुनावी घोषणापत्र में किसानों के प्रति, मजदूरों के लिये, ब्यापारियों के हित में और तो और देश की राजनैतिक स्तर इतना गिर गया हैकि बिद्यार्थियो को भी राजनैतिक दल दल में धकेल कर अपना अपना उल्लू सीधा कर उनके लिये तमाम मनमोहक योजनाओं के नाम लिखित कर चुनावी घोषणा करते है, परन्तु हम लोक तंत्र के चौथे स्तम्भ एक बुद्धजीवी होते हुए भी अभी तक उपेक्षाओ का शिकार होते आ रहे है जोकि आज तक किसी राजनैतिक दल के द्वारा अपने चुनावी घोषणापत्र में लोक तंत्र के चौथे स्तम्भ पत्रकार (मीडिया कर्मियों) को लोक तंत्र में समानता का अधिकार दिलाने की घोषणा नही की है, मित्रो महाभारत होने से पूर्व में भगवान कृष्ण ने दुर्योधन से पांडवों के लिये मात्र पांच गांव माँगे थे, जिसके उत्तर में दुर्योधन ने भगवान कृष्ण से कहा कि पांडवों को सुई की नोक भर भूमि नही दूंगा, अंत में महाविनाश कारी महाभारत हुआ जिसका इतिहास गवाह है, ठीक इसी प्रकार लोक तंत्र का चौथा स्तम्भ संविधानिक रूप से अपनी स्वतंत्रता, सुरक्षा, सम्मान, का अधिकार की माँग कर रहा है, समय रहते यदि पत्रकार (मीडिया कर्मियों) का अधिकार संविधानिक तौर से सुरक्षित नही किया गया तो कलयुग के महाभारत के लिये तैयार रहे, आपका अपना जॉर्नलिस्ट नितिन कुमार शर्मा